Share This News

Working professionals (mostly women), home makers, working mothers had a tough time to maintain work life balance. Parul, a resident of Rose Valley Housing Society in Pimple Saudagar, Pune has penned her emotions in this poem. Here’s a funny rendition of too much work load on today’s  women ..thanks to corona.. 

Bas kaam hi kaam hai … 

तेरी मेरी दुनिया की
एक बात तो आम है
सुबह से लेकर शाम तक
बस काम ही काम है


नहीं है फुर्सत पल भर की
जहां देखो वहां कोहराम है
आफिस भी देखो घर भी देखो
बस अब निकली मेरी जान है


शैतानियों का तोड़ रहे
अपने बच्चे नया आयाम हैं
आंख दिखाकर डराने का पैंतरा
अब पूरी तरह नाकाम है


जल्दी उठना, देर से सोना
अब इनके लिए बहुत आम है
टी वी और मोबाइल में घुसे रहना
बस इनका यही काम है


बहुत काम कराती है पत्नी
ऐसा हर पति का इल्ज़ाम है
थोड़ा करके सारा दिन गाना
ये इनकी परवरिश का अंजाम है


दोस्तों के संग ठहाकों के बीच
पत्नियां बस यूं ही बदनाम हैं
और काम देखकर भी अनदेखा करना
यही पतियों का काम है


भूल चुके हैं साज श्रृंगार अपना
नाईट ड्रेस में ही बस आराम है
सोने चांदी से बढ़कर हैं बाई
अब समझ में आया इनका मक़ाम है


सपनों में भी अब तो अपने
मचा कत्ल -ए -आम है
रणभूमि सी है किचन अपनी
और मांगे बलिदान है।।

– पारुल (पंचम)